सत्यमेव जयते
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
भारत सरकार की विधि अधीन दिल्ली से पंजीबद्ध (संख्या : एस/25806/94) राष्ट्रीय निकाय
देश के 17 राज्यों में 4100 से अधिक आजीवन सदस्य सेवारत
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7-तंवर कालोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर (राजस्थान)
प्रेस विज्ञप्ति
प्रधान न्यायाधीश का बयान अस्वीकार्य : डॉ. मीणा
जयपुर। भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ने एक बयान जारी करके कहा है कि देश की सबसे बडी अदालत के प्रधान न्यायाधीश का बलात्कारी से विवाह करने की अनुमति दिये जाने सम्बन्धी बयान निन्दनीय तो है ही साथ ही साथ प्रधान न्यायाधीश की गरिमा के अनुरूप भी नहीं है।

बास के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पुरुषोत्तम मीणा का कहना है कि यदि एक क्षण को हम प्रधान न्यायाधीश के सुझाव को मान लेते हैं तो ऐसे रुग्ण लोग जो किसी लडकी से विवाह करने में सफल नहीं हो पाते हैं, वे पहले तो उससे बलात्कार करेंगे और बाद में पीडित लडकी को विवश करके विवाह करने को राजी कर लिया जायेगा। इससे जहाँ एक ओर तो महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में वृद्धि होगी, वहीं दूसरी ओर इससे बलात्कार जैसे गम्भीर अपराध की सजा से अपराधी बच निकलेगा।
डॉ. मीणा का कहना है कि अब समय आ गया है, जबकि संवैधानिक एवं जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों द्वारा स्त्री के प्रति अधिक संवेदनशीलता का परिचय दिया जाये और उसे भी इंसान समझा जाये। जब किसी बलात्कारी से विवाह करने की बात कहीं जाती है तो किसी भी पीडिता स्त्री के लिये इससे बडी अपमानजनक कोई बात नहीं हो सकती।
डॉ. मीणा कहते हैं कि इस प्रकार के बयान देने वाला चाहे देश का प्रधान न्यायाधीश हो या अन्य कोई भी हो, हर एक इंसाफ पसन्द व्यक्ति द्वारा उसकी आलोचना और भर्त्सना की ही जानी चाहिये। डॉ. मीणा ने कहा है कि इस प्रकार के अमानवीय और असंवेदनशील बयान की कुछ महिला संगठनों के अलावा अन्य किसी के द्वारा आलोचना नहीं किया जाना भी बेहद चिन्ता का विषय है।
बास के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पुरुषोत्तम मीणा का कहना है कि जब भी स्त्री के सवाल पर निर्णय लेना हो पुरुष को केवल पति या प्रेमी बनकर ही नहीं, बल्कि पिता और भाई बनकर भी सोचने की आदत डालनी चाहिये। तब ही पुरुष, स्त्री से जुडे मामलों में पूर्ण न्याय कर सकेगा।
-प्रेस विज्ञप्ति जारी करंता : पंकज सत्तावत, सहायक कार्यालय सचिव, राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय, भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास), जयपुर।
पुरूषोत्तम जी सबसे पहले आपको नम्स्कार ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विचार है आपके
आपने जो बीड़ा उठाया है। उसमें हम पुरे तन मन धन से आपके साथ हे।
जब भी हमारी जरूरत पड़े हमें सुचित कर देना है आपके पास मिलेंगे।
हमारी सबसे बड़ी सम्पती हमारा देश है। इसमें हो रहे अत्याचारों से देश को बचाना हर नागरिक का प्रथम कर्त्तव्य है। हम इसमें आपके साथ है।
हमें फार्म भेजकर अपना सदस्य बना सकते है।
ReplyDeleteगीत- मै और मेरी तन्हाई ..........……
ReplyDeleteमैं और मेरी तन्हाई , दोनों ही करें दुहाई
मेरे यार से कोई मिला दे ,
मेरे प्यार से कोई मिला दे ,
मैं और मेरी तन्हाई..............................
जब याद तेरी आये, हो जाता हूँ मैं तनहा ,
सीने में आग जले , रो जाता हूँ मैं तनहा ,
वो बिछड़ के मिल ना पाई,
क्यों ऐसी करी जुदाई ,
मेरे यार से कोई मिला दे ,
मेरे प्यार से कोई मिला दे ,
मैं और मेरी तन्हाई..............................
कहीं दर्पण टूट न जाए , दिल खुद से रूठ न जाए ,
ये तेरे प्यार का सागर , हाथों से छूट न जाए ,
रब्बा तू कर दे मिलाई ,
कुछ भी दे चाहे सजाई ,
मेरे यार से कोई मिला दे ,
मेरे प्यार से कोई मिला दे ,
मैं और मेरी तन्हाई..............................
लेखक :- एम. सी . "मनु "
भवनपुरा , किरावली , आगरा।
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