नोट : आगे से इस संस्थान के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी हेतु निम्न साइट पर क्लिक करें।

JOIN-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान-BAAS

08 March 2014

बास बैंक खाता-BAAS BANK ACCOUNT

"भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान" (बास) (BAAS) का बैंक खाता विवरण :-

1. खाता किस नाम से है : "भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान" (बास) (BAAS)
2. बैंक का नाम : ऐक्सिस बैंक (Axis Bank)
3. बैंक खाता संख्या : 010010100435970
4. खाते का प्रकार : बचत खाता| (SAVINGACCOUNT)
5. बैंक पावती : बैंक में शुल्क और, या अनुदान जमा करने के बाद जमा की ओरिजनल पावती (रिसिप्ट) फॉर्म के साथ में भेजना अनिवार्य है। फोटो कॉपी अपने पास रखें।
6. शुल्क का डीडी किसके नाम: शुल्क का डीडी "भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान/बास" (Bhrashtachar & Atyachar Anveshan Sansthan/BAAS) के नाम से ही बनवाना होगा!



-: और अधिक जानें :-

(1) शुल्क/अनुदान "भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान/बास" (Bhrashtachar & Atyachar Anveshan Sansthan/BAAS) के नाम से ऐक्सिस बैंक (Axis Bank) में संचालित बचत खाता संख्या : 010010100435970 में देशभर में किसी भी शहर में जमा करवाया जा सकता है|

(2) उक्त बैंक के उक्त बचत खाते में शुल्क/अनुदान जमा करके, बैंक से प्राप्त ओरिजनल रसीद (Receipt), के पीछे आवेदक/आवेदकों के नाम/पते लिखकर, इसे सदस्यता फार्म के साथ में भेज दें और इस रसीद की फोटो कॉपी अपने पास रखें।

(3) उक्त बैंक में संस्थान के खाते में रुपये जमा करवाने का कोई खर्चा नहीं देना होगा।

(4) बैंक में एक बार में, एक साथ कितने ही लोगों का शुल्क जमा किया जा सकता है, लेकिन फॉर्म के साथ में जमा की गयी कुल राशि और राशि भेजने वालों का पूर्ण विवरण जरूर लिखकर भेजें।

06 March 2014

कर्त्तव्य एवं अधिकार!



1. आजीवन प्राथमिक सदस्यता कार्ड मिलते ही सबसे पहले सदस्यता कार्ड के पीछे छपे समस्त विवरण को ध्यानपूर्वक पढ़कर ठीक से समझ लें और इसका निष्ठापूर्वक पालन करें।

2. सदस्यता कार्ड मिलते ही, पोस्ट कार्ड/मेल या फोन (फोन पर सायं 07 बजे से सायं 08 बजे के बीच) द्वारा इसकी सूचना जयपुर स्थित राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यालय को तत्काल भेजें/दें।

3. अपने सदस्यता कार्ड की फोटो कॉपी करवाकर सुरक्षित रख लें, जिससे कि भविष्य में कभी भी सदस्यता कार्ड के गुम या चोरी या नष्ट होने पर पुलिस को रिपोर्ट करने एवं डुप्लीकेट कार्ड बनवाने में आपको किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो।

4. सदस्यता कार्ड के साथ में भेजे जा रहे संशोधित नये 0 नं. फार्म को नये लोगों से भरवाने से पूर्व जरूरत के अनुसार इसकी फोटो कॉपी करवाकर अपने पास रख लें, जिससे नये इच्छुक और पात्र लोगों को बास का सदस्य बनावाने के लिए तत्काल काम आ सके।

5. अपने सभी परिवार-जनों, मिलने वालों, मित्रों, सम्बन्धियों को बता दें कि आपने इस संस्थान की आजीवन प्राथमिक सदस्यता ग्रहण कर ली है और आप बास के उद्देश्यों के लिये कम कर रहे हैं।

6. योग्य और पात्र लोगों को संस्थान की सदस्यता : योग्य और पात्र लोगों को संस्थान की सदस्यता दिलाने के लिये नये 0 नं. फार्म को सही तरीके से भरवाकर और फार्म के निचले हिस्से में अनुशंसा (सिफारिश) करके फार्म को जयपुर स्थित राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यालय के पते पर स्पीड पोस्ट डाक से भिजवा दें| आपसे उम्मीद की जाती है कि आप कम से कम 10 परिचित लोगों को इस संस्थान की सदस्यता दिलवाकर, अपने क्षेत्र में इस संस्थान का विस्तार जरूर करेंगे और आगे भी लगातार नये लोगों को सदस्यता दिलाने की अनुशंसा (सिफारिश) करते रहेंगे। इससे संस्थान की ताकत (जनबल) में वृद्धि होगी।

7. सबसे पहले स्वयं को बदलें : हम सभी जानते हैं कि आज सरकारी, गैर-सरकारी और हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार, अत्याचार, नाइंसाफी और मनमानी इस कदर बढ़ चुके हैं कि इनसे निपटने के लिये आम लोगों को सुनियोजित और सकारात्मक रणनीति अपनाने की जरूरत है| इसलिए सबसे पहले हमें स्वयं को बदलना होगा, क्योंकि जब तक हम खुद को नहीं बदल सकते, तब तक हम दूसरों से बदलने की उम्मीद नहीं कर सकते। अत: हम खोखली और दिखावटी आदर्श की बातें कहने से बचें और हम वही बातें कहें, जिसे/ हम अपने खुद के आचरण से प्रमाणित (सही सिद्ध) कर सकें। इसके बाद ही हम सफलतापूर्वक कोई कदम उठा पायेंगे।

8. हिन्दी समाचार-पत्र प्रेसपालिका :
(1) बास की सदस्यता मिलने के बाद एक वर्ष तक आपको हर माह की 1 एवं 16 तारीख को जयपुर से हिन्दी समाचार-पत्र "प्रेसपालिका" को साधारण डाक से आपके द्वारा 0 नं. फार्म में लिखे गये पत्राचार के पते पर भेजा जाता रहेगा| आप इस पते को लिखित आग्रह करके बदलवा भी सकते हैं| प्रेसपालिका में हर सदस्य और परिवार के हर सदस्य के लिये महत्वपूर्ण उपयोगी जानकारी होती है, जिसे आपको नियमित रूप से पढ़ते रहना है और अपने ज्ञान तथा जानकारी को बढ़ाते रहना है|
(2) आप इस बारे में अपने डाकिया को बतला दें की वह समय पर और नियमित रूप से आपको "प्रेसपालिका" को पहुंचता रहे| "प्रेसपालिका" में हर व्यक्ति के लिये दैनिक जीवन में उपयोगी महत्वपूर्ण जानकारी प्रकाशित होती है, इस कारण इसे कुछ लोग बीच में चुरा लेते हैं| यदि आपको किसी कारण से "प्रेसपालिका" नहीं मिले तो कृपया आप सीधे "प्रेसपालिका" सम्पादक और संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पुरुषोत्तम मीणा से फोन : 0141-2222225 या मोबाईल नम्बर: 98285-02666 पर सायं 07 बजे से 08 बजे दौरान बात करें|
(3) एक वर्ष पूरा होने से कम से कम एक महिने पहले आपको निर्धारित शुल्क अदा करके "प्रेसपालिका" का नवीनीकरण करवाना अनिवार्य है| अन्यथा आपको प्रेसपालिका नहीं मिलने पर संस्थान की नियमित गतिविधियों, नये सदस्यों, पदाधिकारियों आदि के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं मिलेगी और आपको नये लोगों को संस्थान की सदस्यता दिलाने का अधिकार भी निलम्बित हो जायेगा|
9. अनुदान : आपको हर वर्ष इस बात को याद रखना है कि आपने आजीवन प्राथमिक सदस्यता का फार्म भरते समय अन्य बातों के आलावा निम्न घोषणा भी की है:-
"मैं इस संस्थान के संचालन एवं प्रबन्धन हेतु प्रतिवर्ष अपनी आय का न्यूनतम (कम से कम) 00.10 प्रतिशत हिस्सा (अर्थात 100 रूपये में से 10 पैसे) या न्यूनतम 100 रूपये (जो भी अधिक हो के बराबर) या अधिक धनराशि स्वेच्छा से इस संस्थान को आजीवन अनुदान करते रहने को सहमत हूँ|"
अत: आपको उक्त घोषणा का पालन करना चाहिये, जिससे संस्थान के संचालन के लिये संस्थान के नेतृत्व को किसी गैर-सदस्य के समक्ष हाथ नहीं फैलाना पड़े!

10. अनुशासन : कोई भी कार्य तब ही पूर्ण होता है, जबकि हम स्वयं को अनुशासित और समर्पित होकर कार्य को अंजाम दें! इसलिए सभी सदस्यों को चाहिये कि अपने आप को बास का अनुशासित सिपाही बनाने का काम करें और बास के नेतृत्व के मार्गदर्शन तथा निर्देशों का पालन करने के किसी प्रकार की लापरवाही नहीं करें!
नोट : बास की सदस्यता का फॉर्म डाऊनलोड करें :-
पदाधिकारियों के कर्त्तव्य :

1. अपने आचरण में गुणात्मक तथा सकारात्मक परिवर्तन : अपने परिवार, मित्रों, रिश्तदारों, साथियों, समाज और सरकार के समक्ष स्वयं को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करने के लिये, अपने आचरण में गुणात्मक तथा सकारात्मक परिवर्तन और सुधार लाने का दिल से प्रयास करें और यदि आप ईश्‍वर की सत्ता में विश्‍वास करते हैं तो कोई भी कार्य शुरू करने से पूर्व याद रखें कि ईश्‍वर के इंसाफ के नियम अपना काम बिना विभेद के करते रहते हैं। 

2. दिल से प्रयत्न करें : आप दूसरों से जैसे सदाचरण की उम्मीद करते हैं, उससे भी श्रेष्ठ सदाचरण स्वयं करने का दिल से प्रयत्न करें।

3. झूठा दिखावा नहीं करें : आप दूसरे लोगों से केवल उन्हीं आदर्शों या अच्छाईयों के निर्वाह की बात करें/कहें, जिन्हें आप स्वयं, अपने आचरण से प्रमाणित करते रहे हों। अन्यथा झूठा दिखावा व्यक्तिगत रूप से आपको और संस्थान को भी कमजोर ही करेगा।

4. निष्ठा एवं समर्पण : संस्थान के संविधान में वर्णित सभी नियमों, सिद्धान्तों, उद्देश्यों, कर्त्तव्यों, उच्च नेतृत्व के निर्णयों या प्रस्तावों, सदस्यता फार्म, नियुक्ति हेतु प्रस्तुत फार्म में की गयी घोषणा तथा नियुक्ति-पत्र/फोटो कार्ड में वर्णित दिशानिर्देशों का पूर्ण निष्ठा एवं समर्पण के साथ पालन करें। 

5. संस्थान की ताकत में बढोतरी : संस्थान की प्रारम्भ से नीति रही है कि संस्थान के प्रत्येक सदस्य के सम्मान और खुद्दारी की हमेशा रक्षा (हिफाजत) की जायेगी। जिसके लिये संस्थान को निम्न तीन शक्तियों को बढाते रहने की प्रत्येक सदस्य की जिम्मेदारी है। सभी पदाधिकारियों से विशेष रूप से आशा की जाती है कि वे इन चारों ताकतों को बढाने के लिये हमेशा ईमादारी से कार्य करते रहेंगे :-
(1) जनबल : लोकतन्त्र में उसी की आवाज सुनी जाती है, जिसके साथ लोगों का समर्थन और सक्रिय सहयोग हो। इसलिये हमेशा अपने क्षेत्र में तथा देशभर में जहॉं कहीं भी आपके परिचित लोग रहते हैं, वहॉं-वहॉं के सभी पात्र और योग्य लोगों को इस संस्थान की सदस्यता दिलवाते हुए संस्थान के संख्याबल (जनबल) में वृद्धि करते रहें।
(2) धनबल : कोई भी संगठन या निजाम अर्थ (धन) के अभाव में अधिक समय तक जिन्दा नहीं रह सकता है और  कोई भी संगठन या निजाम पर्याप्त तथा नियमित आर्थिक संसाधानों के अभाव में अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकता। इस कड़वी सच्चाई को जानते और समझते हुए भी इस संस्थान की स्थापना के समय से ही हमारी इस बारे में यह नीति रही है कि हम विदेशी ताकतों, सरकार या भ्रष्ट लोगों से कभी भी अनुदान नहीं लेंगे और संस्थान की दैनिक जरूरतों तथा आवश्यक संसाधनों के लिये सभी सदस्य मिलकर अपनी आय का बहुत छोटा सा अंश (अपनी आय का मात्र 00.10 फीसदी हिस्सा अर्थात् प्रत्येक 100 रुपये में से 10 पैसे) संस्थान को नियमित रूप से अनुदान के रूप में अदा करते रहेंगे। सभी को जानकर सुखद आश्‍चर्य होना चाहिये कि संस्थान की 1993 में स्थापना से आज तक हमने किसी गैर सदस्य से एक पैसा भी अनुदान नहीं लिया है| लेकिन सभी सदस्यों से नियमित रूप से वार्षिक अनुदान भी प्राप्त नहीं हो रहा है। जिसके कारण संस्थान की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और हम बहुत सारे जरूरी कार्य केवल धन की कमी के कारण ही नहीं कर पाते हैं। 
अत: प्रत्येक पदाधिकारी का यह अनिवार्य कर्त्तव्य है कि वह न मात्र स्वयं नियमित रूप से अनुदान करता रहे, बल्कि अपनी शाखा के सभी सदस्यों को भी अनुदान अदा करने के लिये प्रेरित और प्रोत्साहित करते रहें| जिससे संस्थान के धनबल में हमेशा इजाफा (बढोतरी) होता रहे।
(3) बौद्धिकबल : जनबल और धनबल की सीमाएँ निर्धारित हैं, लेकिन बौद्धिकबल की कोई सीमा नहीं होती हैं| यद्यपि सतत ज्ञान प्राप्ति के बिना बौद्धिकबल अर्जित करना असम्भव है| अत: हर एक सदस्य को अपने ज्ञान की धार को लगातार तेज करते रहना चाहिये| जिसके लिये सभी सदस्य दैनिक जीवन में उपयोगी पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों के साथ-साथ संस्थान के समर्थन में प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’ का नियमित रूप से अध्ययन करें और अपने बौद्धिकबल का विस्तार करते रहें| ‘प्रेसपालिका का पाठक शुल्क’ समाप्त होने से कम से कम एक माह पूर्व ही ‘प्रेसपालिका का नवीनीकरण शुल्क’ निम्मानुसार जमा करते रहें और अपने साथियों को भी जमा करने को प्रेरित तथा प्रोत्साहित करें :-
  • (1) 200 रुपये 1 वर्ष|
  • (2) 350 रुपये दो वर्ष।
  • (3) 500 रुपये तीन वर्ष। 
  • (4) 650 रुपये चार वर्ष।
  • (5) 800 रुपये पॉंच वर्ष|
  • (6) 1500 रुपये दस वर्ष|
  • (7) 2500 रुपये बीस वर्ष|
  • (8) 5100 रुपये आजीवन|

6. सुनिश्‍चित करें :
अपनी शाखा के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों के सहयोग से धर्म, जाति, लिंग, सम्प्रदाय और क्षेत्रीयता की भावना से ऊपर उठकर, हर प्रकार की नाइंसाफी एवं गैर-बराबरी के विरुद्ध इस संस्थान के पदाधिकारी के रूप में निर्भीकता और निष्पक्षता से लगातार कार्य करते रहें| साथ ही संस्थान की यथा समय प्रचलित रीति के अनुसार निम्न कार्य करना सुनिश्‍चित करें :-
  • (1) सभी सदस्यों को जागरूक एवं निर्भीक बनाना।
  • (2) सभी सदस्यों को जरूरत के अनुसार संरक्षण देना और दिलवाना।
  • (3) सभी जरूरतमन्दों को मार्गदर्शन, सहयोग एवं मदद देना और दिलाना। और
  • (4) जनहित के मामलों में जरूरी कार्यवाही करना और करवाना।
पदाधिकारियों के अधिकार :

  • 1. अपने पद के अनुसार फोटो कार्ड प्राप्त करने और उसे हमेशा अपने साथ रखने का अधिकार।
  • 2. अपने नाम और पद के लैटर हैड पर संस्थान की ओर से, संस्थान के उद्देश्यों और नियमों के अनुसार नाइंसाफी के विरुद्ध तथा न्यायहित में पत्राचार करने एवं प्रशासन, सरकार तथा जन प्रतिनिधियों को सुझाव देने का अधिकार।
  • 3. अपने नाम और पद के अनुसार अपने निवास, कार्यस्थल और वाहन पर नैमप्लेट बनवाकर लगाने का अधिकार।
  • 4. भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण, कालाबाजारी, मिलावट आदि गैर-कानूनी कृत्यों की रोकथाम, सुधार एवं उन्मूलन के लिये कार्य करने/करवाने और विभिन्न मंचों पर आवाज उठाने के अधिकाधिक अवसरों की प्राप्ति का अधिकार।
  • 5. अपने नाम और पद के अनुसार लैटर हैड बनवाकर उसका राष्ट्रहित, जनहित और व्यथित तथा जरूरतमन्दों के हित में उसका उपयोग करने का अधिकार।
  • 6. निजी, संस्थागत और समाजिक समस्याओं के समाधान व निराकरण में बास के अनुभवी उच्च नेतृत्व के सकारात्मक एवं समाधानकारी मार्गदर्शन प्राप्त करने का अधिकार।
  • 7. संस्थान से सम्बद्ध समाचार-पत्र, पत्रिकाओं, स्मारिकाओं आदि में रचनात्मक लेख, विचार, अनुभव, उपलब्धि आदि के प्रकाशन की सुविधा का अधिकार।
  • 8. संस्थान के उच्च नेतृत्व की ओर से संस्थान की ओर से कार्य करने के लिये प्रदान किये जाने वाने प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने का अधिकार।
  • 9. उत्कृष्ट कार्य करने पर संस्थान की ओर से प्रमाण-पत्र, पुरस्कार, सम्मान, प्रशंसा-पत्र आदि की प्राप्ति के अवसरों की प्राप्ति का अधिकार। 
  • 10. प्रदान किये गये पद के अनुसार, स्थानीय स्तर पर अपनी शाखा का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार।
  • 11. संस्थान के प्रतिनिधि के रूप में अपनी शाखा के पुलिस व सामान्य प्रशासनिक अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों, मन्त्रियों आदि से मिलने, बास का प्रतिनिधित्व करने और संस्थान का पक्ष प्रस्तुत करने का अधिकार।

27 February 2014

भ्रष्टाचार समर्थक, क्या इन अत्याचारों से भी समझौता करने को तैयार हैं?

भ्रष्टाचार का समर्थन करने वाले और भ्रष्टाचार को हलके से लेने वाले भ्रष्टाचारियों की गैर कानूनी ताकत के दुष्परिणाम इन क्रूर अत्याचारों को सहने को भी तैयार रहें? आज नहीं तो कल सभी की बारी आने वाली है!

भ्रष्टाचार से समझौता करने वाले, क्या इन अत्याचारों से भी समझौता करने को तैयार है?
अफसरों, राजनेताओं, एनजीओ, उद्योगपतियों, गुंडों आदि के भ्रष्टाचार, मिलावट, कालाबाजारी, भेदभाव आदि को बढ़ावा देने या इनसे समझौता करने या सबकुछ जानते हुए भी चुप रहने और मानवता के इन हत्यारों को संरक्षण तथा सहयोग देने के कारण ही देश में भ्रष्टाचार, मिलावट, कालाबाजारी, भेदभाव, हिंसा, अत्याचार, उत्पीड़न, प्रताड़ना, पशुता, अमानवीयता, असंवेदनशीलता, नक्सलवाद, आतंकवाद और दुराचारों को लगातार बढ़ावा मिल रहा है। लेकिन मानवता के इन हत्यारों को संरक्षण तथा सहयोग देने वाले या सब कुछ देखकर भी चुपचाप तमाशा देखने वाले लोक सेवक, जनप्रतिनिधि और आम लोग भी इन दुष्परिणामों से बच नहीं सकते! आज नहीं तो कल सबका नम्बर आने वाला है! जो लोग प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सेंध लगा सकते हैं, उनसे कोई नहीं बच सकता! कब किसका नम्बर आ जाये कुछ नहीं पता! अत: सभी अच्छे, सच्चे और संवेदनशील लोग या तो इनसे लड़ने के लिए एकजुट हो जाएँ या फिर परिणाम झेलने के लिए तैयार रहें!-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', राष्ट्रीय अध्यक्ष-बास|

12 May 2012

भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती जानकी मीणा का निधन

भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती जानकी मीणा का निधन


जयपुर। प्रेसपालिका की संस्थापिका तथा भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती जानकी मीणा का गत 08 अप्रेल, 2012 को आकस्मिक निधन हो गया। श्रीमती जानकी मीणा भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पुरुषोत्तम मीणा की धर्मपत्नी थी। श्रीमती जानकी अपने पीछे दो पुत्र पंकज तथा नीरज एवं पुत्री भावना को छोड़ गयी हैं।

20 November 2011

गजेन्द्र शर्मा राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष और राम भरोसी मीणा प्रदेश संगठन सचिव नियुक्त

श्री गजेन्द्र शर्मा
राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त 
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ने बास के सक्रिय सदस्य और अभी तक राष्ट्रीय सचिव पद पर पदस्थ गजेन्द्र शर्मा को राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है| श्री शर्मा को राजस्थान प्रदेश कार्यकारिणी का शीघ्रता से गठन करने और राज्य के सभी जिलों में जिलास्तरीय शाखाओं का गठन करने के लिये अधिकृत किया है| श्री शर्मा पूर्व में भी प्रदेश अध्यक्ष पद पर कार्य कर चुके हैं|

श्री राम भरोसी मीणा
प्रदेश संगठन सचिव नियुक्त
श्री गजेन्द्र शर्मा ने प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किये जाने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का आभार प्रकट करते हुए संस्थान को राजस्थान के सभी जिलों एवं तहसीलों तक सक्रिय करने का विश्‍वास व्यक्त दिया है|

इसी क्रम में प्रदेश अध्यक्ष गजेन्द्र शर्मा की अनुसंशा पर महवा (जिला-दौसा) के बास के सक्रिय सदस्य राम भरोसी मीणा को प्रदेश संगठन सचिव नियुक्त किया गया है| श्री शर्मा के अनुसार श्री मीणा को संगठन सचिव नियुक्त करने से पूर्वी राजस्थान के अनेक जिलों में बास के संगठन को विस्तारित करने में सहयोग मिलेगा|

19 November 2011

क्या लोक सेवक (सरकारी कर्मचारी/अधिकारी) भी भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की आजीवन सदस्यता प्राप्त/ग्रहण कर सकते हैं?


यह एक बड़ी समस्या यह है कि हमारे देश में लोगों को अपने हकों और कर्त्तव्यों का सही-सही ज्ञान नहीं है| यहॉं तक कि लोक सेवकों (सरकारी अफसरों और कर्मचारियों) तक को इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है| इस कारण से अनेक लोक सेवक सवाल करते रहते हैं कि क्या वे भी भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं?

ऐसे सभी लोक सेवकों की जानकारी के लिये यहॉं पर स्पष्ट किया जाता है कि कोई भी व्यक्ति लोक सेवक होने से पूर्व भारत का नागरिक होता है और लोक सेवक बन जाने के बाद भी वह भारत का नागरिक बना रहता है|

इसलिये यह बात समझने की है कि भारत के संविधान में नागरिकों को अनेक प्रकार के मूल अधिकार प्रदान किये गये हैं, जिनका उल्लेख भारत के संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक में विस्तार से किया गया है|

इन मूल अधिकारों को बिना संविधान-सम्मत विधिक प्रक्रिया के कोई भी नहीं छीन सकता है| यहां तक कि राष्ट्रपति और संसद को भी संविधान में वर्णित संविधान-सम्मत विधिक प्रक्रिया को अपनाये बिना नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कम करने या छीनने का कोई अधिकार नहीं है| ऐसे में लोक सेवक बनने के बाद कोई भी व्यक्ति नागरिक के रूप में प्राप्त मौलिक अधिकारों से कैसे वंचित किया जा सकता है?

ओ. के. घोष बनाम एक्स. जोसेफ एआईआर, 1963 एससी- 232 मामले में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए साफ शब्दों में कहा है कि-

प्रत्येक लोक सेवक को भी संविधान के अनुच्छेद 19.1.ग के तहत प्रदत्त मूल अधिकार के तहत संघ या संगठन बनाने, संघ या संगठन का सदस्य बनने और संघ या संगठन का संचालन करने का मूल अधिकार प्राप्त है, जिसे छीनने या कम करने वाला किसी भी सरकार का नियम या उपनियम (यदि कोई है तो वह) संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध होने के कारण असंवैधानिक है और ऐसा कानून, संवैधानिक की नजर में शून्य है| जिसे मानने कि लिये कोई भी लोक सेवक बाध्य नहीं है|

अत: स्पष्ट किया जाता है कि बास जैसे भारत सरकार की विधि अधीन पंजीबद्ध किसी भी संगठन या संघ की सदस्यता ग्रहण करना और पद प्राप्त करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19.1.ग के तहत प्रत्येक नागरिक का मूल अधिकार है, बशर्ते कि वह नागरिक ऐसे संगठन के स्वीकृत संविधान में वर्णित शर्तों को पूर्ण करता हो|

अत: सभी सरकारी, अर्द्ध-सरकारी और निजी निकायों में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारी बास की सदस्यता प्राप्ति हेतु निर्धारित 0 (जीरों) नं. फॉर्म में सदस्यता हेतु आवेदन करने और आवेदन स्वीकृत होने पर सदस्यता ग्रहण करने और पात्रता अर्जित करने पर बास का फोटो कार्ड/नियुक्ति-पत्र प्राप्त करने के लिये संविधान के तहत अधिकृत हैं| इस प्रकार सरकारी कर्मचारी/अधिकारी भी बास की आजीवन सदस्यता प्राप्त/ग्रहण कर सकते हैं!

29 August 2011

सदस्यता के बाद सात काम

1- अपने आपको बदलें : क्योंकि हर बदलाव या सुधार की सच्ची शुरूआत खुद से ही होती है! अत: "अपने आपको बदलो! दुनिया बदल जायेगी!!"


रोज दस पैसे बचाएँ और 
बास को अनुदान करें
 2-बिना मांगे वार्षिक अनुदान अदा करें : बास

20 August 2011

भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान की रैली में 11 प्रस्ताव पास!


सभी राष्ट्र भक्तों को नमस्कार!

"राष्ट्र सेवा को समर्पित व्यक्तित्व और भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) के मुख्य संस्थापक तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' के नेतृत्व में 18 अगस्त, 11 को जयपुर में भ्रष्टाचार के खिलाफ तथा अन्ना हजारे के समर्थन में बास की ओर से निकाली गयी रैली में हजारों सदस्यों और जागरूक लोगों की उपस्थिति में राष्ट्र हित में दूरगामी प्रभाव डालने वाले 11 प्रस्ताव पास किये गए! अधिक जानकारी के लिए कृपया नीचे लिंक पर क्लिक करे या लिंक लोड करें! धन्यवाद!"-पृथ्वी राज सोनी, जिला अध्यक्ष-बास, जयपुर, राजस्थान   

भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान की रैली में 11 प्रस्ताव पास!

31 July 2011

संस्थान से जुड़ने के इच्छुक देश के सम्मानित नागरिकों की जानकारी हेतु जरूरी सात बातें!

इस संस्थान से जुड़ने के इच्छुक सम्मानित नागरिकों की जानकारी हेतु जरूरी सूचना :-

बास की सदस्यता प्राप्त करने के विचार को अंतिम रूप देने से पहले निम्न बातें जान लेनी जरूरी है :-
1. इस संस्थान की सदस्यता ग्रहण करने से यदि-

(1) आपका निजी जीवन या,(2) आपका परिवार या,

22 July 2011

भारत के सभी राज्यों के जिला और तहसील/तालुका की सूची

भारत के सभी राज्यों के जिला और तहसील/तालुका की सूची दी गयी है| जिस राज्य के जिला या तहसील/तालुका के बारे में जानना हो नीचे उस पर क्लिक करें :-

02 June 2011

शाखा अध्यक्ष का घोषणा-पत्र

शाखा अध्यक्ष का घोषणा-पत्र

मैं स्वेच्छा से घोषणा करता/करती हूँ कि-

(1) यह आवेदन प्रस्तुत करने तक मैंने शाखा अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति/फोटो कार्ड प्राप्ति हेतु संस्थान द्वारा निर्धारित पात्रता हासिल कर ली है या मैं शीघ्र की पात्रता हासिल कर लूंगा|

02 May 2011

भ्रष्टाचार से अपार सम्पदा कमाने वाले अनेक लोग क्रूर, पशु और आतंकी बन जाते है!

अफसरों, राजनेताओं, एनजीओ, उद्योगपतियों, गुंडों आदि के भ्रष्टाचार, मिलावट, कालाबाजारी, भेदभाव आदि को बढ़ावा देने या इनसे समझौता करने और इन मानवता के हत्यारों को संरक्षण तथा सहयोग देने के कारण ही देश में हिंसा, अत्याचार, उत्पीड़न, प्रताड़ना, पशुता, अमानवीयत, असंवेदनशीलता, नक्सलवाद, आतंकवाद और दुराचारों को लगातार बढ़ावा मिल रहा है| लेकिन मानवता के इन हत्यारों को संरक्षण तथा सहयोग देने वाले या सबकुछ देखकर भी चुपचाप तमाशा देखने वाले लोक सेवक, जनप्रतिनिधि और आम लोग भी इनके दुष्परिणामों से बच नहीं सकते! आज नहीं तो कल सबका नम्बर आने वाला है! जो लोग प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सेंध लगा सकते हैं, उनसे कोई नहीं बच सकता! कब किसका नम्बर आ जाये कुछ नहीं पता! अत: सभी अच्छे, सच्चे और संवेदनशील लोग या तो इनसे लड़ने के लिए एकजुट हो जाएँ या फिर परिणाम झेलने के लिए तैयार रहें!
1-तानाशाह अधिकारी द्वारा एक मजबूर स्त्री का सरेआम अपमान!

अफसरों को जब भ्रष्टाचार के जरिये बिना कमाया धन मिलता है तो उनको अपनी हवश मिटाने के लिए किसी भी गरीब स्त्री को शिकार बनाना आसान लगता है! यदि कोई स्त्री विरोध करती है तो उसकी दशा यहाँ दर्शाए चित्र में दिख रही है! इस स्त्री की जगह पर कल को हम में से किसी की भी पत्नी, पुत्री, माँ, बहिन या सम्बन्धी हो सकती है! क्या हम भ्रष्टाचारियों के इन अत्याचारों को झेलने को तैयार हैं? कल को किसी का भी नम्बर आ सकता है!
2-तानाशाह पुलिस द्वारा जानवरों की तरह निर्दोष की पिटाई!

भ्रष्टाचार से तो समझौता कर लोगे, सीधे तौर पर तो भ्रष्टाचार को झेल लोगे, लेकिन भ्रष्टाचारियों के इन अत्याचारों को कैसे झेलोगे? कल को किसी का भी नम्बर आ सकता है!
3-तानाशाह और क्रूर पुलिस द्वारा अत्याचार करने के लिये मकान का दरवाजा तोड़ा जा रहा है!
4-तानाशाह एवं अत्याचारी पुलिस का ये एक और बदसूरत चेहरा!
सिर्फ चोरी के सन्देह में इस निर्दोष महिला की तानाशाह पुलिस ने ये हालत बना दी है! कल को किसी भी व्यक्ति की ये हालत हो सकती है!