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JOIN-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान-BAAS

29 August 2011

सदस्यता के बाद सात काम

1- अपने आपको बदलें : क्योंकि हर बदलाव या सुधार की सच्ची शुरूआत खुद से ही होती है! अत: "अपने आपको बदलो! दुनिया बदल जायेगी!!"


रोज दस पैसे बचाएँ और 
बास को अनुदान करें
 2-बिना मांगे वार्षिक अनुदान अदा करें : बास
की स्थापना करते समय यह तय किया था कि "हम सरकार, विदेशी एजेंसी या किसी भी बाहरी व्यक्ति के सामने आर्थिक मदद के लिए हाथ नहीं फैलायेंगे और अपनी मदद खुद करेंगे!" अत: यदि आप सौ रुपये कमायें तो उसमें से दस पैसे या अपनी वार्षिक आय का (.1 प्रतिशत हिस्सा अर्थात=सौ रुपये में से दस पैसे) या कम से कम सौ रुपये, में से जो भी अधिक हो, के बराबर धनराशि बास के प्रबंधन और संचालन हेतु प्रतिवर्ष स्वेच्छा (बिना मांगे) से बास को अनुदान (डोनेशन) करते रहें!

जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र  


3-प्रेसपालिका पढ़ें : बास के सदस्यों को जागरूक, सजग और सतर्क बनाने के लिए अति आवश्यक नियमों एवं कानूनी जानकारी प्रदान करने और संस्थान की सभी गतिविधियों की जानकारी सभी सदस्यों को देने के लिए बास के समर्थन में प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र "प्रेसपालिका"का नियमित रूप से अध्ययन करते रहें और इसका पाठक शुल्क समाप्त होने से कम से कम एक माह पूर्व जमा कर दें/भिजवा दें! वर्तमान में'प्रेसपालिका' का शुल्क : एक वर्ष का=200 रुपये! 2 वर्ष का=350 रु.! 3 वर्ष का=500 रु.! 10 वर्ष का=1500 रु.! आजीवन =5100 रुपये!

4-कम से कम अपने परिचित 10 लोगों को सदस्यता दिलावें : देशभर में कहीं भी रहने वाले अपने मित्रों, परिचितों, सम्बन्धियों, परिजनों या सहकर्मियों में कम से कम दस पात्र लोगों को बास की आजीवन सदस्यता दिलाने की अनुशंसा/सिफारिश करने का प्रयास करके बास की सक्रिय सदस्यता, पद और फोटो कार्ड प्राप्त करें तथा आगे भी देशभर में बास की शाखाएँ (Branches) खुलवाने के लिए सदस्य संख्या में लगातार बढ़ोतरी सहित सभी प्रयास करते रहें!
जयपुर में बास जागृति-2006  में उपस्थित कार्यकर्ता व जनसमूह


5-कार्यक्रम आयोजित करें और उनको हर सूरत में सफल बनावें : बास की सभी स्तर की बैठकों, प्रशिक्षण शिविरों, आयोजनों को सफल बनाने के लिए तन, मन और धन से भरसक योगदान करें और इनमें सक्रीय रूप से भाग लेकर इन्हें सफल बनाने का हर संभव प्रयास करें!
अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर बास के अध्यक्ष का स्वागत करते हुए 


6-राष्ट्रीय अध्यक्ष को आमंत्रित करें : इस संस्थान के मुख्य संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पुरुषोत्तम मीणा वर्ष 1979 से लगातार अनेक स्तरों पर भ्रष्टाचार, अत्याचार, भेदभाव और गैर बराबरी के खिलाफ संघर्ष करते रहे हैं! अंतत: इसके लिए उन्होंने 13 वर्ष की सेवा शेष रहते भारत सरकार की नौकरी को भी त्याग दिया है! राष्ट्रीय अध्यक्ष का ये त्याग और मिशन तब ही सफल होगा, जबकि सभी सदस्य मिलकर लगातार काम करें और हर स्थान और हर शहर में राष्ट्रीय अध्यक्ष को आमंत्रित करके, उनसे इस संस्थान के मंच पर कार्य करने सम्बन्धी जरूरी जानकारी प्राप्त करें!
7-हर स्तर पर बास की शाखाओं की स्थापना करावें : इस संस्थान के अधीन निम्न चार स्तरों पर शाखाएँ स्थापित की जा सकती हैं :-
(1) लोकल शाखा : इसमें ग्राम, ग्राम पंचायत, शहर में मोहल्ला या नगर पालिका का वार्ड क्षेत्र शामिल है!
(2) तहसील/तालिका/ब्लोक शाखा : इसमें सरकार द्वारा घोषित सभी तहसील/तालुका क्षेत्र शामिल हैं तथा महानगरों या बड़े शहरों के बड़े-बड़े एरिया (क्षेत्र) ब्लोक के रूप में शामिल किये जा सकते हैं!
(3) जिला शाखा : इसमें सरकार द्वारा घोषित सभी जिला क्षेत्र शामिल हैं!
(4) प्रदेश शाखा : इसमें सरकार द्वारा घोषित सभी प्रदेश/प्रान्त/केंद्र शासित प्रदेश (स्टेट) क्षेत्र शामिल हैं!

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