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JOIN-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान-BAAS

19 November 2011

क्या लोक सेवक (सरकारी कर्मचारी/अधिकारी) भी भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की आजीवन सदस्यता प्राप्त/ग्रहण कर सकते हैं?


यह एक बड़ी समस्या यह है कि हमारे देश में लोगों को अपने हकों और कर्त्तव्यों का सही-सही ज्ञान नहीं है| यहॉं तक कि लोक सेवकों (सरकारी अफसरों और कर्मचारियों) तक को इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है| इस कारण से अनेक लोक सेवक सवाल करते रहते हैं कि क्या वे भी भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं?

ऐसे सभी लोक सेवकों की जानकारी के लिये यहॉं पर स्पष्ट किया जाता है कि कोई भी व्यक्ति लोक सेवक होने से पूर्व भारत का नागरिक होता है और लोक सेवक बन जाने के बाद भी वह भारत का नागरिक बना रहता है|

इसलिये यह बात समझने की है कि भारत के संविधान में नागरिकों को अनेक प्रकार के मूल अधिकार प्रदान किये गये हैं, जिनका उल्लेख भारत के संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक में विस्तार से किया गया है|

इन मूल अधिकारों को बिना संविधान-सम्मत विधिक प्रक्रिया के कोई भी नहीं छीन सकता है| यहां तक कि राष्ट्रपति और संसद को भी संविधान में वर्णित संविधान-सम्मत विधिक प्रक्रिया को अपनाये बिना नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कम करने या छीनने का कोई अधिकार नहीं है| ऐसे में लोक सेवक बनने के बाद कोई भी व्यक्ति नागरिक के रूप में प्राप्त मौलिक अधिकारों से कैसे वंचित किया जा सकता है?

ओ. के. घोष बनाम एक्स. जोसेफ एआईआर, 1963 एससी- 232 मामले में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए साफ शब्दों में कहा है कि-

प्रत्येक लोक सेवक को भी संविधान के अनुच्छेद 19.1.ग के तहत प्रदत्त मूल अधिकार के तहत संघ या संगठन बनाने, संघ या संगठन का सदस्य बनने और संघ या संगठन का संचालन करने का मूल अधिकार प्राप्त है, जिसे छीनने या कम करने वाला किसी भी सरकार का नियम या उपनियम (यदि कोई है तो वह) संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध होने के कारण असंवैधानिक है और ऐसा कानून, संवैधानिक की नजर में शून्य है| जिसे मानने कि लिये कोई भी लोक सेवक बाध्य नहीं है|

अत: स्पष्ट किया जाता है कि बास जैसे भारत सरकार की विधि अधीन पंजीबद्ध किसी भी संगठन या संघ की सदस्यता ग्रहण करना और पद प्राप्त करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19.1.ग के तहत प्रत्येक नागरिक का मूल अधिकार है, बशर्ते कि वह नागरिक ऐसे संगठन के स्वीकृत संविधान में वर्णित शर्तों को पूर्ण करता हो|

अत: सभी सरकारी, अर्द्ध-सरकारी और निजी निकायों में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारी बास की सदस्यता प्राप्ति हेतु निर्धारित 0 (जीरों) नं. फॉर्म में सदस्यता हेतु आवेदन करने और आवेदन स्वीकृत होने पर सदस्यता ग्रहण करने और पात्रता अर्जित करने पर बास का फोटो कार्ड/नियुक्ति-पत्र प्राप्त करने के लिये संविधान के तहत अधिकृत हैं| इस प्रकार सरकारी कर्मचारी/अधिकारी भी बास की आजीवन सदस्यता प्राप्त/ग्रहण कर सकते हैं!

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